भारतीय संस्कृति में तुलसी का विशेष महत्व है। इस आर्टिकल में हम यह जानेंगे की ( इस तरह से करें तुलसी जी की देखभाल : पौधा कभी खराब नहीं होगा / 10. Care Tips For Tulsi Plant ) . इसे एक पवित्र पौधा माना जाता है और घरों में पूजा-पाठ में इसका उपयोग होता है। इसके अलावा तुलसी औषधीय गुणों से भरपूर है और कई रोगों में लाभकारी मानी जाती है। इसे आप सर्दी खासी से लेकर कई चीजों में इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन बहुत से लोग यह शिकायत करते हैं कि उनके घर में तुलसी का पौधा कुछ ही समय में सूख जाता है या उसमें कीड़े लग जाते हैं। इसका मुख्य कारण तुलसी की सही देखभाल न करना होता है। यदि आप कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखें, तो तुलसी का पौधा सालों-साल हरा-भरा और स्वस्थ रह सकता है।

इस तरह से करें तुलसी जी की देखभाल : पौधा कभी खराब नहीं होगा / 10. Care Tips For Tulsi Plant
- तुलसी के लिए सही स्थान का चुनाव करें
तुलसी के पौधे को सूरज की रोशनी बहुत पसंद होती है। इसलिए इसे ऐसे स्थान पर रखें जहां प्रतिदिन कम से कम 4 से 6 घंटे की सीधी धूप मिले। यदि आप तुलसी को घर के अंदर रखते हैं, तो सुनिश्चित करें कि वह खिड़की या बालकनी के पास हो जहां पर्याप्त प्रकाश आता हो। अगर आप इसे कम धूप वाले जगह पर रखेंगे तो इसके पत्ते मरने लगते हैं और कुछ दिनों में खराब होकर गिरने लगते हैं।
2. पानी देने का सही तरीका अपनाएं
तुलसी के पौधे को जरूरत से ज्यादा पानी देना उसे नुकसान पहुंचा सकता है। अधिक पानी से जड़ें सड़ सकती हैं। गर्मियों में तुलसी को रोजाना पानी देना जरूरी हो सकता है, लेकिन सर्दियों और बरसात में पानी कम देना चाहिए। हर बार पानी देने से पहले मिट्टी की ऊपरी परत को छूकर देखें। यदि मिट्टी सूखी है, तभी पानी दें। ध्यान रखें कि गमले में पानी निकासी (ड्रैनेज) की व्यवस्था अच्छी हो ताकि पानी जमा न होने पाएं। यदि आप तुलसी जी में रोजाना जल देते है और इसकी मिट्टी में हमेशा नमी रहती है तो आप आधा पानी गमले में डालें और आधा गमले के बाहर डाल दें जिससे पौधे को कोई नुकशान नहीं होगा और पौधा ज्यादा पानी से खराब नहीं होगा।
3. सही मिट्टी का चुनाव करें
तुलसी के लिए हल्की, भुरभुरी और जलनिकासी वाली मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। इसकी मिट्टी बनाने के लिए 60% गार्डेनकी मिट्टी , 20 % रेत और 20% कम्पोस्ट खाद या गोबर की खाद को अच्छी तरह से मिला लें। मिट्टी में थोड़ी सी बालू ( जिससे गमले में पानी रुकने की समस्या कभी नहीं होगी ) और जैविक खाद मिलाकर उपयोग करें। यह पौधे की जड़ों को पर्याप्त ऑक्सीजन और पोषक तत्व प्रदान करती है। हर 2 से 3 महीने में मिट्टी को थोड़ा खोदकर उसमें नई खाद या गोबर की खाद मिलाएं। इससे पौधे की ग्रोथ में तेजी आएगी और वह हरा-भरा बना रहेगा।
4. नियमित रूप से छंटाई (प्रूनिंग) करें
तुलसी के पौधे की नियमित छंटाई बहुत जरूरी है। जब पौधे में ज्यादा शाखाएं और पत्तियां आ जाती हैं, तो कुछ पुरानी शाखाओं को काट देना चाहिए। इससे नए अंकुर निकलते हैं और पौधा घना होता है। फूल आने पर यदि आप बीज नहीं चाहते, तो फूलों को तोड़ देना चाहिए क्योंकि बीज आने के बाद तुलसी का पौधा सूखने लगता है। यह पौधों की एनर्जी को बीज बनाने में लगाता है जिससे पौधा सूखने लगता हैं।
5. कीट और रोगों से बचाव
तुलसी का पौधा सामान्यत: कीट-रहित रहता है, लेकिन कभी-कभी उस पर एफिड्स, स्पाइडर माइट्स या फंगस का असर हो सकता है। यदि पत्तियों पर सफेद धब्बे दिखें या वह पीली पड़ने लगे, तो यह रोग का संकेत हो सकता है। बचाव के लिए आप नीम का तेल (Neem Oil) और पानी मिलाकर स्प्रे कर सकते हैं। 5 ml नीम आयल को एक लीटर पानी में मिलाकर आप अपने तुलसी के पत्तों पर स्प्रे कर सकते हैं। ऐसा आप हर महीने कर सकते हैं जिससे पौधों पर कभी कीड़े नहीं लगेंगे। इसके अलावा आप घर में बने जैविक कीटनाशक जैसे लहसुन और अदरक का मिश्रण भी उपयोग कर सकते हैं। कभी कभी सूखे पत्तों और टहनियों के कारण उनपर फंगस लगने की शिकायत आती है। सूखे पत्तों और मुरझाये टहनियों को काटकर हटा दिया करें।
6. खाद देने का सही तरीका
तुलसी के पौधे को समय-समय पर खाद देना जरूरी होता है ताकि इसका विकास अच्छे से हो और पौधा हेल्दी रहें। हर महीने या दो महीने में आप गोबर की खाद, वर्मी कम्पोस्ट या घर में बची सब्जियों की जैविक खाद मिट्टी में मिला सकते हैं।
रासायनिक खादों का उपयोग तुलसी पर नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह पौधा धार्मिक रूप से भी उपयोग होता है और इसकी पत्तियाँ हम सेवन करते हैं। इसलिए केवल जैविक खादों का प्रयोग ही करें।
7. मौसम के अनुसार देखभाल करें
हर मौसम में तुलसी को अलग देखभाल की जरूरत होती है।
गर्मी में – रोजाना पानी दें, दोपहर की तेज धूप से बचाएं।
गर्मियों में मिट्टी में हल्की नमी बनाएं रखें।
सर्दी में – कम पानी दें, ओस और ठंडी हवा से बचाने के लिए शाम को अंदर रखें।
ओस के कारण इसके पत्ते ख़राब हो जाते हैं।
बरसात में – पानी जमने न दें, कीटों से बचाव के लिए नियमित निरीक्षण करें।
यदि संभव हो तो बहुत ज्यादा बारिश या सर्दी में तुलसी को छत के नीचे या बालकनी में रखें।
8. तुलसी के पास सफाई बनाए रखें
तुलसी का पौधा साफ-सुथरे वातावरण में ज्यादा अच्छा बढ़ता है। इसके चारों ओर सूखे पत्ते, कचरा या कीचड़ न जमा होने दें। इससे कीट और फंगस लगने का खतरा रहता है। समय-समय पर आसपास की सफाई करें और तुलसी के गमले को धूप में रखें।
9. गमले की मिट्टी की गुराई
गमले की मिट्टी की गुराई हर 20 से 25 दिनों पर किया कीजिये , इससे मिट्टी भर भूरी होती है और जड़ों में हवा का संचार बना रहता है।
10. तुलसी के साथ धार्मिक और मानसिक जुड़ाव
तुलसी केवल एक पौधा नहीं, बल्कि एक आस्था का प्रतीक है। यदि आप तुलसी के पौधे को नियमित जल देते हैं, उसके पास दीपक जलाते हैं और उसे प्रणाम करते हैं, तो यह न केवल आपके मन को शांति देगा, बल्कि पौधे और प्रकृति के प्रति आपका जुड़ाव भी बढ़ेगा।
निष्कर्ष :
तुलसी का पौधा जितना पवित्र और लाभकारी है, उतनी ही उसके लिए देखभाल भी जरूरी है। यदि आप उसे सही स्थान, पर्याप्त धूप, सही मात्रा में पानी और जैविक खाद देते हैं, साथ ही नियमित रूप से उसकी सफाई और छंटाई करते हैं, तो तुलसी कभी खराब नहीं होगी।
थोड़ा सा समय और ध्यान देकर आप तुलसी को सालों तक हरा-भरा रख सकते हैं और इसके धार्मिक, स्वास्थ्य और मानसिक लाभ उठा सकते हैं। याद रखें – तुलसी की देखभाल केवल एक पौधे की देखभाल नहीं, बल्कि जीवनशैली में संतुलन और सकारात्मकता लाने का एक माध्यम भी है। तो आप भी इन बातों का ध्यान रखें और अपने पौधे को स्वस्थ्य रखें।
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