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पौधों के लिए घर पर जीवामृत कैसे बनाएं ताकि पौधे हमेशा हरे-भरे रहें

आज के समय में जब रासायनिक उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग हमारी मिट्टी को बंजर बना रहा है, वहीं पारंपरिक भारतीय जैविक खेती की विधियां फिर से प्रासंगिक होती जा रही हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि जीवामृत क्या है, इसके लाभ क्या हैं और पौधों के लिए घर पर जीवामृत कैसे बनाएं ताकि पौधे हमेशा हरे-भरे रहें। जैविक विधियों में एक अद्भुत प्राकृतिक पोषक तत्व है — जीवामृत। यह एक ऐसा अमृत है जो न केवल पौधों की वृद्धि को गति देता है, बल्कि मिट्टी को भी उर्वर बनाता है। यह बेकार हो गए मिट्टी में जान डाल देता है और उसमे सूक्ष्म जीवो की मात्रा को बढ़ाता है।

पौधों के लिए घर पर जीवामृत कैसे बनाएं ताकि पौधे हमेशा हरे-भरे रहें

जीवामृत क्या है?

जीवामृत एक जीवाणु संवर्धक (bio-enhancer) द्रव्य है जो प्राकृतिक रूप से उपलब्ध सामग्री जैसे देसी गाय का गोबर, गौमूत्र, गुड़, बेसन/चना आटा और मिट्टी से तैयार किया जाता है। यह पौधों की वृद्धि के लिए आवश्यक सूक्ष्मजीवों और पोषक तत्वों से भरपूर होता है। यह जैविक खेती की आत्मा माना जाता है। यह बहुत पुराना और पारंपरिक तारिक है मिट्टी को उर्वरक बनाने का और केमिकल खादों पर अपने निर्भरता को ख़त्म करने का।

जीवामृत के लाभ :

पौधों की तेजी से वृद्धि में सहायक
मिट्टी की उर्वरता में वृद्धि
हानिकारक रसायनों से मुक्ति
फसल में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास
कम लागत में अधिक उत्पादन
पर्यावरण के अनुकूल

पौधों के लिए घर पर जीवामृत कैसे बनाएं ताकि पौधे हमेशा हरे-भरे रहें :

आप जीवामृत को अपने घर के किसी खाली ड्रम या बाल्टी में आसानी से तैयार कर सकते हैं। आइए जानते हैं इसकी सामग्री और विधि:

आवश्यक सामग्री (10 लीटर जीवामृत बनाने हेतु ) :

देसी गाय का ताजा गोबर – 1 किलो
देसी गाय का ताजा मूत्र – 1 लीटर
गुड़ – 100 ग्राम (या 4-5 चम्मच)
बेसन या चना का आटा – 100 ग्राम
देशी मिट्टी (जैविक खेत की या तुलसी/पीपल के नीचे की मिट्टी) – 1 मुट्ठी
पानी – 10 लीटर
एक प्लास्टिक की बाल्टी या ड्रम (धातु का नहीं)
लकड़ी की छड़ी या बांस की डंडी चलाने के लिए

बनाने की प्रक्रिया :

बाल्टी या ड्रम को साफ पानी से धो लें।
सबसे पहले उसमें गोबर और गौमूत्र डालें।
अब उसमें गुड़, बेसन और मिट्टी डालें।
अब 10 लीटर पानी डालें और लकड़ी की छड़ी से अच्छी तरह मिलाएं ताकि मिश्रण पूरी तरह से घूल जाएं।
इस मिश्रण को ढक दें, लेकिन ढक्कन पूरी तरह से बंद न करें। हवा का थोड़ा संचार जरूरी है।

  • हर दिन सुबह-शाम इस मिश्रण को 4–5 मिनट तक लकड़ी की छड़ी से मिला दिया करें।
  • 2 से 3 दिन में यह जीवामृत तैयार हो जाएगा। ठंडी जगह में रखें और 7 दिनों के भीतर उपयोग कर लें।

जीवामृत का उपयोग कैसे करें ?

पौधों की सिंचाई में :

  • 1 लीटर जीवामृत को 10 लीटर पानी में मिलाकर पौधों की जड़ों में सिंचाई करें।
  • हर 15 से 20 दिन में एक बार डालना लाभदायक होता है।

पत्तियों पर छिड़काव के रूप में :

  • 1 लीटर जीवामृत को 20 लीटर पानी में घोलें।
  • इस मिश्रण का छिड़काव पत्तियों पर छिड़कें।
  • इससे पत्तियों की हरियाली बढ़ती है और रोगों से बचाव होता है।

कंपोस्ट को सक्रिय करने में :

  • जीवामृत का प्रयोग कंपोस्ट या वर्मी कंपोस्ट को जल्दी तैयार करने के लिए भी किया जा सकता है।
  • यह जैविक गतिविधि को तेज करता है।
  • जीवामृत बनाते समय ध्यान रखने योग्य बातें
  • केवल देसी गाय का गोबर और मूत्र ही उपयोग करें, क्योंकि इनकी जैविक संरचना विशेष होती है।
  • प्लास्टिक, मिट्टी या लकड़ी के बर्तन का प्रयोग करें। धातु की बाल्टी से रासायनिक प्रतिक्रिया हो सकती है।
  • मिश्रण को रोज हिलाना जरूरी है, ताकि उसमें ऑक्सीजन की आपूर्ति बनी रहे।
  • बारिश के मौसम में जीवामृत को ढककर रखें ताकि उसमें पानी न जाए।

कुछ अतिरिक्त सुझाव

  • जीवामृत का उपयोग घर की छत पर लगे गमलों में भी किया जा सकता है।
  • यह फूलों के पौधों, सब्जियों और फलों के पेड़ों के लिए समान रूप से उपयोगी है।
  • इसे नीम के घोल या पंचगव्य के साथ मिलाकर प्रयोग करने से और भी बेहतर परिणाम मिलते हैं।

निष्कर्ष

जीवामृत एक सजीव तरल खाद है जो प्राकृतिक रूप से पौधों को हरा-भरा रखने में सक्षम है। घर पर इसे बनाना बेहद आसान है और इसके प्रयोग से हम रसायनों से मुक्त, स्वास्थ्यवर्धक, और पर्यावरण-स्नेही बागवानी कर सकते हैं। यदि हम अपने पौधों को सच्चे अर्थों में “प्राकृतिक अमृत” देना चाहते हैं, तो जीवामृत से बेहतर और कुछ नहीं।

तो आइए, आज ही अपने घर पर जीवामृत बनाएं और अपनी हरियाली को प्राकृतिक शक्ति से पोषित करें।

🌱 हर पौधे को मिले जीवामृत, तभी हो धरती हरी-भरी। 🌱

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